हा जी तो आप मेरी सोच को सुनने में रूचि रखते हैं आपके समय के लिए बहुत बहुत शुक्रिया
आज मैंने सोचा की, आजकल मेरी सोच यह है के अगर कोई मेरा दोस्त मुझे कुछ मजाक में कह दे, जैसे की,
१. तू पूरा दिन खाता रहेगा क्या?
२. अपनी शक्ल देखो है आईने में
तो उसके में मजाक में टाल दूँगा पर आज कल हम घर में यह सब बातें नही सुन सकते अगर घर पर कोई यह बात कर दे तो बहुत बुरा लगता है बस मन में आता है "तेरे से मतलब" और यह सब कुछ ज्यादा मुश्किल हो जाता है जब यह बात "In-Laws" में से किसी ने कही हो
इसका तो मतलब हुआ, दोस्त से तो हम अपनापन बना लेते है "In Laws" से नही।
यह वैसे ही है के अगर दोस्तों में अगर कोई कह दे के डांस कर दे यह गाना सुना दे, तो वो सही है पर Ragging के समय यही बातें सुन कर लगता है के "तू कहने वाला होता कौन है"
अगर में ऑफिस से काम करके घर पहुँचा हूं और घर पर कोई काम के लिए कह दे तो लगता है, थक कर तो घर पर काम करके आया हूं और अभी कसे काम कर दूँ पर अगर उससे समय मेरे दोस्त का फ़ोन आ जाए कहीं मिलने के लिए तो मुझे थकान नही लगती तो फ़िर वो थकान कहाँ गयी फ़िर क्या में Parents से झूट बोल रहा था की मुझे थकान है'
तो इसका मतलब, में यही है की में वोही करता हूं, सुनता हूं, समझता हूं, जो मेरा मन करता है
The Power of Social Media to Market Your Brand, Products, and Services
-
The Power of Social Media to Market Your Brand, Products, and Services
In today’s fast-moving digital landscape, social media has revolutionized
the way...
3 hours ago
No comments:
Post a Comment