यह सोच बहुत बड़ी चीज़ होती है. एक बार एक साधू सड़क पर जा रहा था. और उसी समय दूसरी तरफ़ से एक चोर चला आ रहा था. सड़क पर बहुत पत्थर पड़े हूए थे. दोनों को एक ठोकर लगी. जब साधू ने नीचे देखा तो पाया के एक पत्थर पर ठोकर लग जाने से उसे चोट लग गयी है और खून भी निकल आया है. जब चोर ने निचे देखा तो पाया के उसे एक डिब्बा से ठोकर लगी और जब उसने वो डिब्बा खोला तो पाया के उसमे तो पैसे थे. इसे देख साथू को बहुत बुरा लगा कि में तो हर समय भगवान् के पूजा करता हु तो मुघे चोट लगे और यह हमशा ग़लत काम करता है तो इससे पैसे मिला. वह अपने आश्रम वापिस गया और भगवान् यह पूछा के ऐसा हूए क्यों हुआ........
.अब देखिये कि भगवन कि एक बात से कैसे उसका सब आक्रोश विश्वास में बदल जाता है. भगवान् उसे कहते है की तेरे भाग्य में तो आज मौत लिखी थी पर क्योंकि तुने मेरी पूजा करी तो तुघे बस चोट लग कर तेरा बुरा समय चला गया और दूसरी और, उस चोर का आज इतना खजाना मिलना था कि वो राजा बन जाता पर उसके कर्मो के फलस्वरूप उसे थोड़े पैसे ही मिले.इसे सुन साधू फ़िर शांत हो गया.....
अगर सोचा जाए तो भगवान् ने ना तो साधू का दर्द कम किया और ना हे चोर से उसके पैसे लिए पर फ़िर भी एक सोच में परिवर्तन से ही साधू शांत हो गया.
Struggling With Depression And Suicide
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Struggling with Depression & Suicide – A Personal Perspective [image:
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Days of endless struggle
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10 years ago
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